ग्वालियर,28 मार्च (आरएनएस)। जड़ी-बूटियों से दस से 12 हजार रुपए होती मासिक कमाई. ग्वालियर के घाटीगांव, मोहना, श्योपुर के कराहल और शिवपुरी जिले के पोहरी क्षेत्र की सहरिया आदिवासी महिलाओं द्वारा वन्य क्षेत्र में बिखरी पड़ी जड़ी-बूटियों को खोजने और उसका चूर्ण बनाने के बाद संबंधितों को सप्लाई करने का काम किया जा रहा है।
इस काम से प्रति महिला को हर माह दस से 12 हजार रुपए मासिक पारिश्रमिक मिल जाता है। बताया जाता है कि इन जड़ी-बूटियों को लेने के लिए देश की नामी गिरामी कंपनियों पहुंंचती हैं। इन क्षेत्रों में 6112 आदिवासी महिलाएं काम में जुटी हैं। यह जड़ीबूटी जंगल से आती हैं – सफेद मूसली, गोंद, मशरूम, छाल, अश्वगंधा, पहर का बीज, शहद, हर्र, बहेड़ा, आंवकला, चांदी बाजार, गोखरू व बेल प्रमुख रूप से शामिल हैं।
वन उत्पादक समिति ले लेती हैं महिलाओं से माल – ये आदिवासी महिलाएं कई क्विंटल जड़ी बूटियां महीने में जंगलों से एकत्रित कर लेती हैं। जिन्हें वन उत्पादक समिति को दे दिया जाता है। इसके लिए महिलाओं का एक संगठन वन उत्पादक समिति की जमुना और हरीना आदिवासी महिलाओं के जरिए तैयार किया गया है।
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