Poonch Terror Attack Indian Army in action, 12 suspects in custody

जम्मू 22 April, (एजेंसी): जम्मू-कश्मीर के पुंछ में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। आतंकियों ने सेना के ट्रक पर ग्रेनेड से हमला कर दिया था, जिसके बाद ट्रक में आग लग गई थी। इसके बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया था और तुरंत सर्च ऑपरेशन चला दिया गया था।

वहीं, शुक्रवार को इस मामले में 12 लोगों को हिरासत में लिया गया। उससे पूछताछ की जा रही है। उधर, आतंकियों को खोजने के लिए ड्रोन, स्निफर डॉग और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है।

बता दें कि हमले में शहीद हुए जवान नेशनल राइफल्स यूनिट के थे। उन्हें इलाके में आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए तैनात किया गया था।

जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार जिस बर्बरता से हमला किया गया, वह आतंकियों के फिदायीन और पाकिस्तानी होने का इशारा कर रहा है। आतंकियों ने वीरवार को हुए हमले को नक्सलियों की तर्ज पर अंजाम दिया था और घात लगाकर दोनों ओर से गोलियां बरसाईं।

एक आतंकी ने सामने से आकर सैन्य वाहन को रोका, जबकि दूसरी तरफ से बाकी आतंकियों ने गोलियां बरसाईं। इसके बाद ग्रेनेड दागे गए। दहशतगर्द मात्र 10 मिनट में हमले को अंजाम देकर फरार हो गए। सेना ने शुरुआती जांच में वाहन के दोनों तरफ गोलियों के कई निशान पाए हैं।

सेना और सुरक्षा एजेंसियों को राजोरी-पुंछ सेक्टर में दो समूहों में सक्रिय 6-7 आतंकियों की मौजूदगी का इनपुट मिला है। इनकी तलाश में सेना तथा पुलिस ने 12 किलोमीटर के दायरे में शुक्रवार को भाटादूड़ियां जंगल को घेरे रखा।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीम ने भी सबूत जुटाए। बम निरोधक दस्ता व एसओजी की टीम भी जांच में जुटी है। सूत्रों के अनुसार, बरामद सबूतों को एफएसएल तथा फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

पुंछ हमले में 12 संदिग्धों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। आतंकी समूह की पहचान सुनिश्चित करने के लिए सभी से अलग-अलग पूछताछ की जा रही है। माना जा रहा है कि यह समूह इलाके में एक साल से सक्रिय है। इसमें स्नाइपर भी शामिल हैं। अफसरों ने बताया कि यह क्षेत्र बेहद दुर्गम है। हमलावरों को इलाके की अच्छी जानकारी होने का मतलब है कि वे लंबे समय से यहां टिके हुए थे। यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स का माना जाता है। इसका कमांडर रफीक यहीं का रहने वाला है।

पोस्टमार्टम के दौरान शहीद जवानों के शरीर से एक दर्जन से अधिक गोलियां निकाली गईं। इनमें से चार को तीन से चार गोलियां लगी थीं। वहीं, एक जवान को कोई गोली नहीं लगी थी, लेकिन वह बुरी तरह से झुलस चुका था कि उसका शरीर सिकुड़ गया था।

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