ग्वालियर,20 अप्रैल (एजेंसी)। हाई कोर्ट की युगलपीठ ने गत दिवस पोस्ट मैट्रिक बीएससी नर्सिंग, प्रथम वर्ष व बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के प्रवेश व उनकी परीक्षा को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि आश्चर्य है कि ऐसे लोग सरकार में बैठे हैं, जिन्हें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता तक नहीं है।
कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा किऐसे विद्यार्थियों की नर्सिंग का सर्टिफिकेट दे रहे हैं, जिन्होंने न पढ़ाई की है न कक्षा में उपस्थित हुए हैं। प्र्रेक्टिकल भी नहीं किए हैं। इस तरह से 20 हजार मेल व फीमेल नर्सिंग स्टाफ प्रदेश के अलग-अलग अस्पतालों में पहुंच जाएंगे। जिन्हें ब्लड प्रेशर नापता भी नहीं आता है। मरीज को कब और कौन सी दवा देनी है यह भी समझ नहीं होती है। मरीज का 85 प्रतिशत समय नर्स की निगरानी में बीतता है। ऐसा नर्सिंग स्टाफ अस्पतालों में मरीजां की क्या हालत करेगा।
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह कोर्ट के सवालों का जवाब नहीं दे सके। कोर्ट ने याचिका की तारीख बढ़ाते हुए 25 अप्रैल सुनवाई के लिए निर्धारित की है। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित आर्या व न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार सिंह ने की। मालूम हो, दिलीप कुमार शर्मा ने पोस्ट मैट्रिक बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष व बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट के संज्ञान में लाया कि मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर ने जुलाई 2002 से जनवरी 2003 के बीच कालेजों को संबद्धता थी। इसके बाद 11 से 18 फरवरी 2023 के बीच विद्यार्थियों का नामांकन किया गया। 28 फरवरी से परीखाओं की तारीख घोषित कर दी। संबद्धता देने से पूर्व सत्यापन नहीं किया गया।
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