After Vikas Yatra, Ladli Sammelan, CM will go out to seek public blessings

भोपाल,20 अप्रैल (एजेंसी)। प्रदेश में सत्ता-संगठन के नेताओं ने चुनावी जमीन तैयार करने और जनाधार बढ़ाने की खातिर जिलों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित राष्ट्रीय नेताओं के अनवरत कार्यक्रम कराने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है।

प्रदेश के सभी जिलों में मुख्यमंत्री की तीन-तीन फेरियां पूरी कराने का संकल्प भी लिया गया है। इसके तहत पैसा एक्ट की ब्रांडिंग के लिए प्रदेश की एक तिहाई से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सीएम के प्रवास का एक चरण पूरा हो चुका है।

अब मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के महासम्मेलनों का सिलसिला जारी है। इस योजना को भाजपा गेमचेंजर मानकर महिला वोटर्स को रिझाने में जुटी है। अब तक एक करोड़ से ज्यादा बहनों के पंजीयन हो चुके हैं।

इसके बाद अंतिम चरण में सभी जिलों में मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा शुरु हो जाएगी। हर बार विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री उज्जैन से यह यात्रा शुरु कर जिलों में जाकर चुनाव के लिए लोगों से आशीर्वाद मांगते हैं। प्रदेश भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में भी वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में चुनाव पूर्व तैयारी के ब्लयू प्रिंट में न मुद्द शामिल किए गए।

भाजपा संगठन ने इस बार समाज के अलग-अलग वर्गों को फोकस कर उन्हें रिझाने के लिए कार्यक्रमों की श्रृंखला तैयार की है। इसके अलावा कार्यकर्ताओं को मनाने की कवायद भी शुरु की गई है। विकास यात्राओं के बाद लाड़ली बहना सम्मेलनों के जरिएास जिलों में जोर-शोर से कार्यक्रम का सिलसिला चल रहा है। इसके बाद जनआशीर्वाद यात्रा और फिर चुनावी आचार संहिता के पहले भोपाल के जंबूरी मैदान में कार्यकर्ता महाकुंभ की रूपरेखा बन गई है। इन कार्यक्रमों में भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के लगातार मप्र दौरे शुरु किए जाएंगे।

ग्वालियर में मकाकुंभ और सियासी नियुक्तियां – पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान जिन क्षेत्रों में पार्टी का जनाधार कम हुआ, वहां खासतौर पर फोस है।

आदिवासी वोटर्स केक लिए कई कार्यक्रमों के अलावा पेस एक्ट की संबंधित जिलों में जोर-शोर से ब्रांडिंग की जा चुकी है। अनुसूचित जाति वर्गों के लिए हाल ही में ग्वालियर-चंबल अंचल में महाकुंभ के जरिए कई ऐलान भी किए गए।

अजा बहुल आबादी को देखते हुए सागर में 100 करोड़ रुपए की लागत से संत रविदास मंदिर बनाने का काम शुरु कर दिया गया है। अंबेउकर जयंती पर भी इस बार इस वर्ग के मतदाताओं को साधने के लिए सत्ता-संगठन ने सियासी नियुक्तियां भी की हैं।

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