नई दिल्ली, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार कुछ सामान और सेवाओं पर टैक्स बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम पर ज्यादा सरल टैक्स रेट स्ट्रक्चर करने के मकसद के साथ विचार किया जा रहा है। जीएसटी दरों को बढ़ाने की यह योजना ऐसा समय पर की जा रही है, जब अगले साल की शुरुआत में देश के बड़े राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। जीएसटी पर पैनल की बैठक दिसंबर में होने की उम्मीद है। इस पैनल की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं। इसमें वर्तमान के चार रेट वाले सिस्टम से बदलाव किया जा सकता है। इस समय देश में 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाता है। इसमें कुछ जरूरी सामान जैसे खाने की चीजों पर सबसे कम दर और लग्जरी सामान पर सबसे ज्यादा रेट से टैक्स लगता है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया है कि अगली बार सबसे कम दो रेट में बढ़ोतरी की जा सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे कम दो दरों में से एक 5 फीसद को बढ़ाकर 6 फीसद और 12 को 13 फीसदी किया जा सकता है। इन दो दरों से सबसे ज्यादा प्रभावित आम आदमी ही होता है। इस चरणबद्ध योजना के तहत दरों को चार से घटाकर तीन पर लाया जाएगा। राज्य के वित्त मंत्री अगले महीने के आखिर तक इस मामले में अपने प्रस्तावों को रख सकते हैं। ब्लूमबर्ग ने वित्त मंत्रालय को इस पर प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया, लेकिन वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया है।
बता दें जुलाई 2017 से मोदी सरकार ने जीएसटी लागू किया था। जीएसटी की एक देश, एक टैक्स व्यवस्था के तहत आपको एक ही टैक्स देना होता है। जीएसटी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि किसी भी सामान या सर्विस पर इस टैक्स की दर पूरे देश में एक जैसी होती है। यानी देश के किसी हिस्से में मौजूद कस्टमर या कंज्यूमर को उस वस्तु या सेवा पर एक जैसा ही टैक्स देना होता है. जीएसटी को 3 प्रकार में बांटा गया है— सेंट्रल जीएसटी(ष्टत्रस्ञ्ज), स्टेट जीएसटी(स्त्रस्ञ्ज) और इंटीग्रेटेड जीएसटी(ढ्ढत्रस्ञ्ज)।  (एजेंसी)

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