But you yourself resigned… Supreme Court said on reinstatement of Uddhav Thackeray as CM

मुंबई 17 March, (एजेंसी) : सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि वह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार को कैसे बहाल कर सकता है, जबकि मुख्यमंत्री ने बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने अदालत से महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जून 2022 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में यदि गवर्नर की गलती भी हो तो भी उद्धव ठाकरे की सरकार बहाल नहीं की जा सकती।

दरअसल सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे सरकार ने 2016 के अरुणाचल प्रदेश के मामले का जिक्र किया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने नबाम तुकी की सरकार को बहाल कर दिया था और यथास्थिति का आदेश जारी किया था। उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष रख रहे वकील कपिल सिब्बल ने 5 जजों की बेंच से मांग की थी कि तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट के आदेश को खारिज किया जाए, जिससे पहले उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले  सुप्रीम कोर्ट ने ही गवर्नर के फैसलों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि शिवसेना की फूट पार्टी का आंतरिक मामला थी।

इसके आधार पर सरकार का फैसला होना गलत था और राज्यपाल का फैसला राजनीतिक मामले में दखल देने जैसा था, जो उन्हें नहीं करना था। अभिषेक मनु सिंघवी ने भी उद्धव सरकार की बहाली की मांग उठाई। इस पर बेंच ने कहा, ‘आपके मुताबिक हमें क्या करना चाहिए? आपकी सरकार बहाल करनी चाहिए? लेकिन आपने इस्तीफा दे दिया था। अब कोर्ट से उस सरकार की बहाली की मांग की जा रही है, जिसने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही सत्ता छोड़ दी थी।’

अरुणाचल प्रदेश में 2016 में भाजपा के समर्थन से कलिखो फुल सीएम बन गए थे। इसके चलते नाबाम तुकी को पद से हटना पड़ा था। यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसने यथास्थिति कायम करने का आदेश दिया और पुरानी सरकार को बहाल करा दिया। इसी का जिक्र करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यदि गवर्नर का फैसला अवैध घोषित कर दिया जाए तो फिर उद्धव ठाकरे का इस्तीफा अप्रासंगिक हो जाएगा।

शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान लगातार 9 दिनों तक उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे समूह की दलीलों को सुना और अब फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान ठाकरे का पक्ष रखने के लिए कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, देवदत्त कामत और अमित आनंद तिवारी जैसे दिग्गज वकील मौजूद थे। इसके अलावा शिंदे गुट की तरफ से एनके कौल, महेश जेठमलानी और महिंदर सिंह जैसे वकील मौजूद थे।

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