BJP has considered 103 lost seats as aspirational

*एक-एक सीट पर मंत्री-विधायक व बड़े नेता की होगी तैनाती*

भोपाल,26 फरवरी (एजेंसी)। मध्य प्रदेश में महज आठ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा पूरी तरह चुनावी समर में कूद गई है। भाजपा ने इस बार 200 पार का लक्ष्य रखा है, जिसे फतह करने के लिए पार्टी एक-एक सीट पर मंथन-चिंतन कर रही है। विशेषकर भाजपा के एजेंडे में यह सीटें अधिक हैं, जहां 2018 का उप-चुनावों में पार्टी को दस हजार मतों से हार मिली थी। प्रदेश में ऐसी 40 सीटें हैं, जिन्हें जीतकर भाजपा 200 पार के नारे का सामार करेगभ्।

इसके लिए एक-एक सीट पर मंत्री, विधायक व बड़े व कार्यकर्ताओं की तैनाती की जा रही है। इसके लिए कई दौर में चिंतन-मंथन हो चुका है। अब फिर से इन सीटों पर संगठन मंथन करने वाला है। इसकी शुरुआत हो गई है। भाजपा प्रदेश में कराए गए विकास कार्य व सत्ता-संगठन की मजबूती के बल पर चुनावी मैदान में सबसे पहले उतर गई है। पार्टी ने वैसे तो 103 हारी हुई विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जिन्हें वे आकांक्षी सीटों का दर्जा दिया गया है। पार्टी ने तय किया है कि इन सीटों के एक-एक बूथ को मजबूत किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी पार्टी के त्रिदेव संभालेंगे।

पार्टी ने इन सीटों को लेकर अलग-अलग निर्धारण किया है। जिसमें से पांच हजार के काम अंतर से हारी हुई 21 सीटं हैं, जिन्हें भाजपा ने एक नंबर पर रखा है। क्योंकि इनमें से ज्यादातर सीटें पार्टी गुटबाजी व बागियों की वजह से हार गई थी। लकिन इस बार स्थिति बेहतर है। जबकि 19 सीटें ऐसी हैं, जिनमें हार का अंतर दस हजार से कम है। इन्हें दूसरे नंबर पर रखा है।

इन सीटों पर सबसे अधिक फोकस रहेगा। पार्टी ने तय किया है कि यहां पर क्षेत्र के बड़े नेता, मंत्री व विधायकों को जिम्मेदारी दी जाएगी। शेष 63 सीटें ऐसी हैं, जहां हार का अंतर बड़ा रहा है। इसलिए क्षेत्रीय समीकरण व पार्टी विकास कार्यों के बल पर इन्हें जीतने का लक्ष्य रखा है। इन सीटों के हर बूथ में 51 प्रतिशत मत का लक्ष्य भी पार्टी ने रखा है।

यही वजह है कि सत्ताधारी दल एक-एक सीटें पर बहुत ही बारीकी से चिंतन मंथन कर रहा है। क्योंकि 200 पार के नारे को यही सीटें साकार कर सकती हैं। वर्ष 2018 में थी 124 अब रह गई 103 आकांक्षी सीटें – वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव के बाद आए परिणामों की समीक्षा में 124 सीटें ऐसी थीं, जिन्हें आकांक्षी की श्रेणी में चिन्हित किया गया था।

लेकिन तब से अब तक हुए 34 सीटों के उप-चुनाव ने बाजी पलट दी। भाजपा को 21 सीटें जीतने में कामयाबी मिली। कुछ सीटें ऐसी थीं, जहां 2018 में भाजपा के प्रत्याशी तीसरे और चौथे नम्बर पर पहुंच गए थे।

पांच हजार से कम अंदर से हारी सीटें (21 सीट) एक हजार से भी कम अंतर- ग्वालियर दक्षिण, राजनगर, दमोह, ब्यावरा, सुवासरा, जबलपुर-उत्तर और राजपुर, दो हजार के कम अंतर – मंधाता, नेपानगर अजा, गुन्नौर, आगर (उप-चुनाव)

तीन हजार से कम अंतर-मुंगावली, पथरिया, तराना अजा, पिछोर.

चार हजार से कम अंतर से हारी सीटें – छतरपुर व वारासिवनी.

पांच हजार से कम अंदर – चंदेरी, देवरी, घट्टिया अजा, पेटलावद शामिल हैं।

दस हजार से कम अंतर वाली सीटें (19 सीटें) – सबलगढ़-8737, मुरैना-5751 (उप-चुनाव-20), लहार-9073, ग्वालियर पूर्व-8555 (उप चुनाव-20) चाचौड़ा-9797, डबरा अजा-7633 (उप चुनाव-20), बरघाट अजजा-7527, तेंदूखेड़ा-8643, भोपाल दक्षिण पश्चिम-6587, सोनकच्छ अजा-9818, बुरहानपुर-5120, कसरावद-5539, खरगौन-9512, भगवानपुरा अजजा-9716, देपालपुर-9044, राऊ-5703, नागदा-5117, बडनग़र-5381 और आलोट अजा-5448 शामिल हैं।

******************************

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *