Due to the Padyatra, Rahul Gandhi got a chance to know the diverse language, culture and traditions of the country...

भोपाल,02 फरवरी (एजेंसी)। भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी को निश्चित रूप से व्यक्तिगत लाभ हुआ है। कांग्रेस का संगठन भी चलायमान हो गया तथा कार्यकर्ताओं में जोश जगा है। यह पदयात्रा सात सितम्बर को कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई थी। इस यात्रा ने 3570 किलोमीटर दूरी तय की। इस दौरान राहुल गांधी लगातार 145 दिनों तक पैदल चले।

उनकी यह यात्रा 12 राज्यों से होकर गुजरी। इन राज्यों में लोकसभा की 372 सीटें आती हैं। कुल मिलाकर यह यात्रा सफल् मानी जानी चाहिए। भारत में हमेशा पदयात्रा का स्वगात किया जाता रहा है। पदयात्रा को सनातन समय से समन्वय की दृष्टि से देखा जाता रहा है। जाहिर है भारतीय संस्कृति में यह पद यात्रियों को अलग स्थान दिया जाता है। प्राचीन भारत की पद यात्राओं को छोड़ दिया जाए तो आजाद भारत में राहुल गांधी की यह दूसरी पदयात्रा है जिससे भारतीय जनमानस को प्रभावित किया।

इसके पहले 80 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा की थी। चंद्रशेखर ने पदयात्रा के दौरान डायरी लिखी जिसे बाद में प्रकाशित किया गया। उन्होंने इसमें लिखा कि पद यात्रा से पूर्व मुझे लग रहा था कि मैं देश को जानता हूं, लेकिन जैसे-जैसे में आगे बढ़ता गया मुझे लगा कि मुझे देश के बारे में कुछ भी नहीं पता था।

जाहिर है कि पदयात्रा के कारण राहुल गांधी को देश की विविध भाषा, संस्कृति और परंपराओं को जानने का मौका मिला। वे अपनी यात्रा के दौरान हजारों लोगों से मिले। इससे उन्हें आम आदमी की समस्याओं का पता ग्राउंड जीरो पर चला। राहुल गांधी ने पदयात्रा के दौरान देश की समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की और लोगों की बुनियादी जिंदगी का संघर्ष देखा। निश्चित रूप से राहुल गांधी को भविष्य में यह अनुभव काम आने वाला है। राजनीतिक रूप से भी यह पदयात्रा कांग्रेस के लिए लाभकारीसाबित होने वाली है। इस पद यात्रा के कारण कांग्रेसियों में नया जोश जागा है।

आम कांग्रेसी को लगता है कि जब उनके सर्वोच्च नेता मैदान में उतर कर पदयात्रा कर सकते हैं, तो फिर उन्हें भी घर में बैठकर राजनीति नहीं करनी है। जाहिर है कि पदयात्रा से कांग्रेस को मजबूती मिली है। राहुल गांधी नए आभामंडल के साथ राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर स्थापित हुए हैं। भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के लिए जो वातावरण बना है उसका लाभ पार्टी का संगठन चुनाव में कितना ले पाता है यह देखने वाली बात होगी। हालांकि कांग्रेस में बार-बार दावा किया कि इस यात्रा का राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।

पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी व्यापारियों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं, दलितों आदिवासियों और अल्पसंख्यकों से मिले। जाहिर है उन्होंनके नजदीक से इन लोगों के जीवन के संघर्ष को देखा और समस्याओं को समझने की कोशिश की है। राहुल गांधी की यात्रा में अनेक बुद्धिजीवी, छात्र, फिल्म कलाकार और पूर्व खिलाड़ी शामिल हुए।

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक और आर्थिक विषमता जैसे बुनियादी विषयों पर विमर्श खड़ा करने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने यात्रा को जिस जज्बे के साथ पूरा किया उसकी भी चर्चा हुई। वे अपनी पूरी यात्रा के दौरान अनुशंसित और व्यवस्थित दिखे। उन्होंने ठंड में भी एक टी-शर्ट पहनकर आम जनता को यह जताने की कोशिश की कि वे सुविधाओं के साथ यात्रा नहीं कर रहे हैं, बल्कि आम आदमी के जीवन को समझने की कोशिश आम आदमी की तरह कर रहे हैं।

145 दिनों तक राहुल गांधी रोज करीब 25 किलोमीटर की दूरी तय करते थे। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का मूल उद्देश्य देश को स्नेह की डोर से बांधना है। उन्होंने अपने प्रत्येक भाषण में कहा कि वे मोहब्बत बांटने आए हैं। राहुल गांधी अपनी यात्रा को लेकर इतने गंभीर दिखे कि उन्होंने इस दौरान चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने से भी इनकार कर दिया।

दरअसल, अखिल भारतीय स्तर पर राहुल गांधी की छवि एक गंभीर और संवेदनशील नेता के रूप में स्थापित हुई है, जिसका लाभ निश्चित रूप से उन्हें और उनकी पार्टी को होगा। भारत जोड़ो यात्रा के कारण 2024 के लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो जाएंगे।

अब भाजपा कांग्रेस को हल्के में नहीं ले सकती। एक मजबूत कांग्रेस का सामने आना देश के संसदीय लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक है। इसलिए भी कहा जा सकता है कि यह यात्रा अपने उद्देश्य में सफल रही।

***********************************

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *