नई दिल्ली 31 जनवरी ()। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जिसे संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, का उद्देश्य 2030 तक ‘समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना’ है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था।
यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है। वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।
उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आय़ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हुए और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात् प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ। हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई।
लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।शिक्षकों की उपलब्धता, जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात द्वारा मापा जाता है, संकेतक जो शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार से विलोम संबंध रखता है, में वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरोः प्राथमिक स्तर पर 34.0 से 26.2, उच्च प्राथमिक में 23.0 से 19.6, माध्यमिक में 30.0 से 17.6 और उच्च माध्यमिक स्तर पर 39.0 से 27.1, तक की कमी हुई जिसके परिणाम स्वरूप शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ।
स्कूलों की संख्य, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल छोड़ने (ड्रॉपआउट) की दरों में कम किए जाने की आशा है।वित्त वर्ष 23 के दौरान स्कूली शिक्षा के लिए शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रम और योजनाएं निम्नलिखित पैरा में प्रस्तुत की गई हैं। सरकार ने 7 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री-स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (उभरते भारत के लिए विद्यालय) नामक एक केन्द्र प्रयोजित योजना शुरू की गई। इस योजना के अंतर्गत, केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/केन्द्र शासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके वित्त वर्ष 23 से वित्त वर्ष 27 तक 14,500 से अधिक पीएम श्री स्कूल स्थापित करने का प्रावधान है। यह स्कूल आधुनिक अवसंरचना एवं सुविधाओं से सुसज्ज्ति होंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन का निष्पादन करेंगे और समय के साथ-साथ आस-पड़ोस के अन्य स्कूलों को नेतृत्व प्रदान करते हुए अनुकरणीय स्कूलों के रूप में उभरेंगे।
इस योजना से 20 लाख से अधिक छात्रों को सीधे लाभ मिलने की उम्मीद है। मूलभूत स्तर की शिक्षा के लिए राष्ट्रिय पाठ्यक्रम ढांचा (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क) को नए 5+3+3+4 करिकुलर स्ट्रक्चर के रूप में लांच किया गया है, जो 3 से 8 साल की उम्र के सभी बच्चों के लिए बचपन की देखभाल और शिक्षा को एकीकृत करता है।
49 केन्द्रीय विद्यालयों में 3+, 4+, और 5+, आयु वर्ग के छात्रों के लिए संज्ञानात्मक, भावात्मक और साइकोमोटर क्षमताओं को विकसित करने और प्रारंभिक साक्षरता और संख्यात्मकता पर ध्यान देने के साथ प्रोजेक्ट बालवाटिका, यानी ‘तैयारी कक्षा’ अक्टूबर 2022 में शुरू की गई थी।
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