नई दिल्ली, 9 नवम्बर(एजेंसी) । केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केजरीवाल की विज्ञापन रुपी राजनीति और पर्यावरण को लेकर किए गए कोरे वायदों का भंडाफोड़ करते हुए कहा कि 1286.93 करोड़ रुपये पर्यावरण सेस के रुप में दिल्ली की जनता ने केजरीवाल सरकार को दिया लेकिन उन पैसों का रिजल्ट है कि आज छोटे बच्चे खांस रहे हैं, बुजुर्गों को फेफड़ों की बीमारियां हो रही है और दिल्ली के अस्पताल हैं जहां केजरीवाल के चमकते चेहरों के होर्डिंग्स तो मिल जायेंगे, लेकिन बेसिक जांच की सुविधाओं के अभाव में मरीज इधर-उधर भटकते रहते हैं।
प्रेसवार्ता में प्रदेश प्रवक्ता श्री हरीश खुराना भी उपस्थित थे। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 10 स्मोग टॉवर लगाने का दावा केजरीवाल करते हैं और उसके नाम पर 80 लाख रुपये प्रति माह मरम्मत के नाम पर खर्च में दिखाए जाते हैं, लेकिन बावजूद उसके स्मोग टावर काम नहीं कर रहे है। केजरीवाल आजकल दिल्लीवालों के टेक्स के पैसों को दूसरे राज्यों में अपने राजनीतिक पर्यटन में व्यस्त हैं, लेकिन दिल्लीवालों की जरुरतें पूरी नहीं हो पाती।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण सेस के रुप में वसूले गए 1286.93 करोड़ रुपये में से 2015-16 में सिर्फ 272.51 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं उसमें से 265 करोड़ रुपये दिल्ली मेरठ रैपीड रेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर खर्च हुआ है। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केजरीवाल बार-बार दिल्ली के उपराज्यपाल को ब्लेम करते हैं कि वाहन ऑन-ऑफ सिस्टम को रोक दिया नहीं तो दिल्ली का पर्यावरण बेहतर हो जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदूषण विरोधी प्रमाणिक रिकॉर्ड दिल्ली प्रदूषण विभाग के पास नहीं है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल जब पंजाब में मुख्यमंत्री नहीं थे तो वे कहा करते थे कि दिल्ली की जहरीली हवा का कारण पंजाब की पराली है लेकिन जब उनके हाथ में पंजाब आ गया तो अब वे आरोप उपराज्यपाल पर लगा रहे हैं, जबकि पंजाब में पराली जलाने के मामले पहले 34 फीसदी से ज्यादा अब और बढ़ गये है।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा गाइडलाइन्स बनाकर देने और ईस्टर्न-वेस्टर्न पेरिफेरल बनाकर दिया जबकि केजरीवाल सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
जो पर्यावरण सेस के पैसे हैं उन्हें किसी और जगहों पर खर्च किया गया। उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि दिल्ली के पार्ट टाइम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रदूषण के रोकथाम के लिए कोई काम नहीं किया है।
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