Defeated the united opposition in Bihar, gave a tough fight in Telangana

*उपचुनाव के नतीजों से भाजपा गदगद*

नई दिल्ली ,07 नवंबर (एजेंसी)। छह राज्यों के सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों को भाजपा अपने लिए बड़ी जीत मान कर चल रही है। देश के छह राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा की जिन सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ था

उनमें से तीन सीटें पिछले चुनाव में भाजपा के पास थी, दो सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी और एक-एक सीट राजद और शिवसेना के खाते में गई थी। इन सात सीटों पर आए चुनावी नतीजों में इस बार सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है, क्योंकि उसे पिछली बार जीती अपनी दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

हरियाणा की आदमपुर सीट भाजपा ने कांग्रेस से छीन ली, वहीं तेलंगाना की मुनुगोडे सीट पर भी कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा को इस उपचुनाव में एक सीट का फायदा हुआ और एक सीट पर हारने के बावजूद दूसरे नंबर पर आकर पार्टी ने तेलंगाना के मतदाताओं को बड़ा राजनीतिक संदेश देने का काम किया। भाजपा को अपनी तीनों सीटें उत्तर प्रदेश में गोला गोकर्णनाथ, बिहार में गोपालगंज और ओडिशा में धामनगर को बचाने में तो कामयाबी मिली, इसके साथ ही उसने हरियाणा की आदमपुर सीट भी कांग्रेस से झटक ली।

भाजपा राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी एल संतोष उपचुनाव के नतीजों को भाजपा के लिए बड़ी जीत बताते हुए कह रहे हैं कि बिहार के गोपालगंज में भाजपा उम्मीदवार को मिली जीत बहुत खास है, क्योंकि वहां भाजपा की लड़ाई अन्य सभी विपक्षी दलों के संयुक्त सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ थी।

भाजपा का यह मानना है कि बिहार में जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट सहित सभी विपक्षी दलों के एकजुट होने के बावजूद गोपालगंज सीट को बचा कर पार्टी ने राज्य के मतदाताओं को बड़ा राजनीतिक संदेश देने का काम किया है और इसका असर 2024 के लोक सभा और 2025 में होने वाले राज्य के विधान सभा चुनाव में पडऩा तय है।

वहीं दक्षिण भारत में मिशन विस्तार में जुटी भाजपा तेलंगाना में हार के बावजूद अपने प्रदर्शन को बड़ी उपलब्धि मान कर चल रही है। तेलंगाना की मुनुगोडे विधान सभा सीट पर पिछली बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी।

कांग्रेस विधायक के.राजगोपाल रेड्डी के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने की वजह से ही यहां उपचुनाव कराया गया। भाजपा ने रेड्डी को ही अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन इस बार टीआरएस उम्मीदवार ने यहां अपनी जीत का परचम लहराया।

हार के बावजूद कांग्रेस को तीसरे नंबर पर पछाडऩे और टीआरएस को कड़ी टक्कर देने को अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए भाजपा यह दावा कर रही है कि पूरे देश की तरह कांग्रेस तेलंगाना में भी समाप्त हो गई है और राज्य में टीआरएस का विकल्प कांग्रेस नहीं भाजपा बन कर उभरी है।

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