SC agrees to probe petition challenging voter list, Aadhaar linking

नई दिल्ली ,31 अक्टूबर (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को केंद्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोडऩे में सक्षम बनाया गया था। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि आधार कार्ड नहीं होने के आधार पर वोट देने के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने दीवान से सवाल किया कि उनके तर्क से लगता है कि जिसके पास आधार नहीं है, उसे वोट देने से मना नहीं किया जाना चाहिए, या यहां तक कि आधार होने पर भी यह अनिवार्य नहीं होना चाहिए। इस पर वकील ने जवाब दिया कि मतदान का अधिकार सबसे पवित्र अधिकारों में से एक है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आधार कार्ड के अभाव में आदिवासी क्षेत्रों के लोगों के लिए भी विकल्प उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
शीर्ष अदालत को बताया गया कि आधार अधिनियम के तहत एक विशिष्ट धारा है, जिसमें कहा गया है कि आधार संख्या नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
प्रस्तुतियां सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने मेजर जनरल एसजी वोम्बटकेरे (सेवानिवृत्त) द्वारा दायर याचिका को इसी तरह की लंबित याचिकाओं के साथ टैग किया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने आधार के फैसले पर ध्यान आकर्षित करने के लिए तर्क दिया है कि केवल अगर कुछ लाभ प्रदान करने की मांग की जाती है, तो आधार अनिवार्य हो सकता है लेकिन अधिकारों से इनकार नहीं करना चाहिए। और पीठ ने कहा कि मतदान का अधिकार ऐसे अधिकारों में सर्वोच्च है।
इसने मामले को दिसंबर के मध्य में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।
केंद्र सरकार ने मतदाता सूची के साथ आधार विवरण को जोडऩे की अनुमति देने के लिए मतदाता पंजीकरण नियमों में संशोधन किया था ताकि डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाया जा सके।

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