The Central Government dissolved the Special Investigation Agency set up in the Rajiv Gandhi assassination case

नई दिल्ली ,18 अक्टूबर (आरएनएस/FJ)। केंद्र सरकार ने 1991 में हुई पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या में एक अंतरराष्ट्रीय साजिश की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के भीतर गठित बहु-अनुशासनात्मक निगरानी एजेंसी (एमडीएमए) को भंग कर दिया है।

सूत्रों ने यह जानकारी दी है। एमडीएमए को 1998 में न्यायमूर्ति एमसी जैन जांच आयोग की सिफारिशों पर स्थापित किया गया था। पिछले 24 साल से एमडीएमए सीबीआई के तहत काम कर रही थी और इसमें कई केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी शामिल थे। इसने राजीव गांधी की हत्या की साजिश के पहलुओं की जांच की थी।

वहीं इसका नेतृत्व सीबीआई के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रैंक के अधिकारी कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक एक समय में इसका नेतृत्व संयुक्त निदेशक रैंक का अधिकारी करता था और इसमें कम से कम 30-40 अधिकारी काम करते थे।

जानकारी के मुताबिक एमडीएमए के अधिकारियों ने श्रीलंका, न्यूजीलैंड, मलेशिया, ब्रिटेन आदि देशों को कई अनुरोध पत्र भी भेजे और कई विदेश यात्राएं भीं की। इसमें लिट्टे के प्रमुख संगठनों के बैंक लेनदेन और उस समय के आसपास हथियारों की आवाजाही की जांच की गई, लेकिन कोई खास प्रगति नहीं हुई।

सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को भंग करने का आदेश मई में जारी किया गया था और लंबित जांच को सीबीआई की एक अलग इकाई को सौंप दिया गया है। गौरतलब है कि राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम की लिट्टे की महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी।

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