नई दिल्ली, 07 सितंबर ( आरएनएस/FJ) । आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केवीआईसी में वीके सक्सेना के चैयरमेन रहते वक्त 2.62 लाख घोस्ट कारीगर मौजूद थे। जिनके नाम पर वीके सक्सेना ने करोड़ों रुपए का घोटाला किया। केवीआईसी के 4.55 लाख कारीगरों में से 1.93 लाख का ही खाता खुला था, बाकि 2.5 लाख से अधिक घोस्ट कर्मचारियों को हर महीने नगद भुगतान किया गया। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि कारीगरों को कोई भी भुगतान कैश में ना किया जाए।

इसके बावजूद नगद भुगतान किया जाता रहा। सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने जांच में कहा कि घोस्ट कर्मचारियों के नाम पर करोड़ों रुपए बांट दिए गए हैं। बिना रिकॉर्ड के अज्ञात लोगों के नाम पर पैसा बांटा गया।‌ सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने जांच में पूछा कि जब खाते में दो से तीन लाख रुपए थे तो तीन करोड़ का चेक कैसे काट दिया। जब सेंट्रल विजलेंस कमीशन ने पूछा कि चैक किससे काटा दिखाइए तो कहा कि चाय गिरने से चैक बर्बाद हो गया। खादी कमीशन के तत्कालीन सदस्य राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने कहा कि केवीआइसी, न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर नगद में भुगतान कर रहा है।

इसके अलावा गेस्ट हाउस होने के बावजूद 2018 में 23 करोड़ का नया गेस्ट हाउस खरीदने की योजना बनाई गई।‌ जिसका तत्कालीन सदस्य राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने विरोध किया कि केवीआइसी की हालत खराब है केंद्र की मोदी सरकार ऐसे भ्रष्ट एलजी को हटा कर गिरफ़्तार करे। 2.5 लाख कारीगरों का पैसा खाने की सीबीआई-ईडी जांच करे। उन्होंने कहा कि जब एलजी के भ्रष्टाचार की पोल खोलते हैं तो नोटिस भेजते हैं। मैं ऐसे नोटिसों को 10 बार फाड़ता हूं, वीके सक्सेना के सभी घोटालों को खोलूंगा।

सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह मामला किसी सामान्य व्यक्ति के खिलाफ नहीं है बल्कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दिल्ली के अंदर बनाए गए एक भ्रष्ट एलजी के खिलाफ है। यह भ्रष्टाचार उस वक्त एलजी ने किया जब वो केवीआईसी के अध्यक्ष थे। खादी के अंदर लाखों की संख्या में कारीगर कपड़े बुनने सहित तमाम काम करते हैं। उनकी संख्या करीब 4.55 लाख के करीब हैं, जो खादी में सिलाई- बुनाई का काम करते हैं। इन कारीगरों के भुगतान में अरबों की हेराफेरी का मामला सामने आया है।

उन्होंने कहा कि कारीगर हाई कोर्ट पटना में याचिका दायर करते हैं कि हमारा कोई भी भुगतान खादी के नियमों और आदेशों के बावजूद बैंक के माध्यम से अकाउंट में नहीं किया जा रहा है। हाई कोर्ट पटना ने 2016 में आर्डर दिया कि कारीगरों का कोई भी भुगतान कैश में ना किया जाए। पटना हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद 22 सितंबर 2017 को खादी के निदेशक आदेश देते हैं कि मामलों के निस्तारण के लिए फैसला लिया गया है कि इस टाइम लिमिट को 1 महीने और बढ़ा दिया जाए।

संजय सिंह ने कहा कि इस पत्र से यह साबित हो रहा है कि कैश में पेमेंट केवीआइसी करता रहा है, जिसके उस वक्त वीके सक्सेना चैयरमेन थे। इसके बाद राजेंद्र प्रताप गुप्ता जो कि खादी कमीशन के सदस्य थे। उन्होंने 25 सितंबर 2017 को ट्वीट किया और इस ट्वीट में क्या लिखा मुझे शिकायत मिली है कि केवीआइसी, न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर रहा है और नगद में भुगतान कर रहा है। यह कैशलेस का पूरी तरह से उल्लंघन है।

अब सबसे चौंकाने वाला तथ्य आपके सामने रखने जा रहे हैं। खादी के 4.55 लाख कारीगरों में से मात्र 193598 कारीगरों का अकाउंट खोला गया। लगभग 2.62 लाख कारीगरों का अकाउंट खोला ही नहीं गया, यानी कि ढाई लाख घोस्ट कर्मचारी थे। जिनका कोई अता पता नहीं था। केवाईसी के तत्कालीन अध्यक्ष वीके सक्सेना द्वारा ढाई लाख कर्मचारियों का पैसा खा लिया गया।उन्होंने कहा कि इसकी जांच सेंट्रल विजिलेंस कमीशन से हुई। सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने जांच पड़ताल में कहा कि इस तरह की शिकायत है कि घोस्ट कर्मचारी सिस्टम में मौजूद हैं।

जिनके नाम पर करोड़ों रुपए बांट दिए गए हैं। बिना रिकॉर्ड के अज्ञात लोगों के नाम पर पैसा बांट दिया गया। सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने जब जांच की तो सामने आया जिस अकाउंट में दो-तीन लाख रुपए है, उससे तीन करोड़ का चैक काट दिया गया। क्योंकि जांच शुरू हो गई है तो आनन फानन में किसी के भी नाम पर चेक काट दीजिए। जब सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने कहा कि आपके अकाउंट में दो-तीन लाख रुपए थे तो तीन करोड़ का चेक कैसे काट दिया, तो बोले कि पोस्ट डेटेड चेक काट दिया।

जब सेंट्रल विजलेंस कमीशन ने कहा कि चेक किससे काटा है वो दिखाइए तो वह कहते हैं कि चाय गिरने से चैक बर्बाद हो गया। ये बात वीके सक्सेना के केवीआइसी के अध्यक्ष रहते हुए सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने कहीं।संजय सिंह ने कहा कि इसके अलावा 23 करोड़ रुपए का गेस्ट हाउस बनाने के लिए फ्लैट खरीदने का मामला है। इसमें 6 मार्च 2018 को जब 23 करोड़ का फ्लैट खरीदने की योजना बनाई गई।

उसमें तत्कालीन सदस्य राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने काफी ऑब्जेक्शन किए। उन्होंने कहा केवीआइसी की हालत खराब है। हमारे पास पहले से गेस्ट हाउस है तो आप दिल्ली के अंदर 23 करोड़ का गेस्ट हाउस और फ्लैट क्यों खरीदने जा रहे है। वह फ्लैट खेल गांव में खरीदा जा रहा था। मेरा इन सारे कागजातों के आधार पर कहना है कि दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना एक महाभ्रष्ट बेईमान और नंबर 1 के भ्रष्ट व्यक्ति हैं। ऐसा भ्रष्टाचारी व्यक्ति जो केवीआइसी का अध्यक्ष रहते हुए ढाई लाख कर्मचारियों का पैसा खा जाता है।

ऐसा भ्रष्ट व्यक्ति जो खादी जैसी पवित्र संस्था को लूटपाट का अड्डा बना देता है। ऐसे भ्रष्टाचारी व्यक्ति को नरेंद्र मोदी जी ने दिल्ली का एलजी क्यों बनाया। क्या आपको पूरे हिंदुस्तान में एक भी ईमानदार आदमी नहीं मिला? इसकी सीबीआई और ईडी से जांच होनी चाहिए। एलजी को गिरफ्तार करके जेल में डालना चाहिए।

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