The central government is withdrawing the money of the Samman Nidhi from the farmers by making them a criterion Congress

नई दिल्ली, 01 सितंबर (आरएनएस/FJ)। कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने ने कहा कि 2019 चुनाव लोकसभा के जब हो रहे थे, उसके पहले वर्तमान सरकार ने किसानों को कुछ राहत देने के लिए एक किसान सम्मान निधि योजना शुरु की थी और उस योजना के तहत 500 रुपए प्रति महीना किसानों के खातों में भेजे गए थे। 4 महीनों का पैसा एक साथ, 2,000 रुपए प्रति किसान के खातों में डाला गया था और इस योजना का भरपूर लाभ चुनाव में कैसे उठाया जा सकता है, केन्द्र की सरकार ने इसका लाभ उठाया और प्रचार किया।

किसानों की अपने आप को काफी बड़ी हितैषी बताने का भी, श्रेय लेने का भी कार्य उस समय जितना हो सकता था, केन्द्र की सरकार ने किया, लेकिन आज वही केन्द्र की सरकार इन किसानों से, जो किसान सम्मान निधि का पैसा है, उनमें क्राइटेरिया बनाकर वापस ले रही है।जो किसान सम्मान निधि योजना है, यह केन्द्र सरकार उसका किसान अपमान निधि के रूप में प्रयोग कर रही है। किसानों से पैसे जब देने की बात थी, तब तो सरकार का यह प्रयास था कि समस्त किसानों को जल्द से जल्द ये पैसे पहुंचा दिए जाएं.

जिस कारण से जो रेवेन्यू रिकॉर्ड में जितने किसान थे देश में, उनका पासबुक नंबर, बैंक अकाउंट, खाता नंबर लेकर रेवेन्यू डिपार्टमेंट के लोगों ने अपलोड कर दिया और उनको किश्त चली गई, लेकिन उसके बाद सरकार ने एक क्राइटेरिया जो बनाया, उसकी जांच-पड़ताल शुरु कर दी और उस क्राइटेरिया में 10 बिंदु हैं कि जो-जो लोग, ये पात्र हैं, जैसे इंकम टैक्स कोई पेयर है, पूर्व कोई संवैधानिक पद पर रहा हो, जो बड़ा खेतिहर है, जो पेंशन पा रहा है, 10 हजार रुपए प्रति महीना से ज्यादा, उसमें 10 नॉर्मस हैं, तो अब उन लोगों को नोटिसेज़ जा रहे हैं, पूरे देश के किसानों को।

जो मीडिया रिपोर्ट हैं, उसके हिसाब से करीब 2 करोड़ लोगों को इस तरह से चिन्हित किया गया है और हमारे यूपी में भी बहुत रिपोर्टिंग भी हो रही है, हमने खुद देखा है, एक जिले में 25-30-40 हजार लोगों को अभी तक नोटिसेज़ जा चुके हैं। कहने का मेरा तात्पर्य यह है कि किसान सम्मान निधि आज किसान अपमान निधि बन गई है, क्योंकि उस नोटिस में जो शब्दावली लिखी है कि आपने गलत तरीके से ये लाभ लिया ये दंडनीय अपराध है, आप पैसा वापस करें।अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि जो सरकार किसान हितैषी अपने आप को बता रही है, अपने मित्रों कारोबारियों के तो 20-25 लाख करोड़ रुपया माफ कर दे रही है और किसान को 500 रुपए माफ नहीं कर पा रही है।

वो भी किसान की गलती नहीं थी, आपने चुनाव के समय किसानों को अधिक से अधिक आपके पैसे पहुंच जाएं, आपने उन क्राइटेरिया पर ध्यान नहीं दिया। किसानों ने तो अपनी तरफ से कोई बात कही नहीं। आपने तो उनका नंबर लिया और पहुंचा दिया। तो जो ये सरकार है आज किसान विरोधी, क्या किसान की आय दोगुनी हो गई, जो कि आप वापस पैसे ले रहे हैं? तो हमारी कांग्रेस पार्टी की ये मांग है कि जो किसान सम्मान निधि, आज जो किसान अपमान निधि बन गई है, इसके तहत देश के जो भी किसानों से आप पैसे वापस लेने की बात कर रहे हैं, ये आप बंद करे। किसानों से वापस पैसा लेना बंद करें।

देश के किसानों की हालत अच्छी नहीं है। आप ही ने दिए थे, ये पैसे, तब आपने इस तरह से दे दिया, उसमें किसानों का कोई दोष नहीं है और अब आप उनसे जो पैसे ले रहे हैं, ये दिखाता है कि आप किसान मित्र नहीं हैं, केवल अपने कॉर्पोरेट मित्रों के मित्र हैं। तो ये पैसे वापस लेना, सरकार बंद करे।तीसरी बात महत्वपूर्ण है, जैसा आप लोगों को पता है कि आज उत्तर प्रदेश और पूरे देश में, अधिकांश प्रदेशों, में खासतौर से उत्तर प्रदेश में सूखा पड़ गया है, बरसात नहीं हो रही है, खरीफ की हमारी फसल बुरी तरह प्रभावित है, किसान परेशान है।

वर्षा जितनी होनी चाहिए, इस ऋतु में, बरसात में, उसका चवालीस प्रतिशत (-44%) बरसात कम हुई है औऱ सरकारी मानक ये कहते हैं कि यदि -33 प्रतिशत से ऊपर बरसात कम होती है, तो उसे सूखा माना जाता है। तो हम प्रदेश सरकार से, क्योंकि ये सूखा राहत या सूखाग्रस्त घोषित करना स्टेट सब्जेक्ट है, तो हम उत्तर प्रदेश सरकार से यह मांग करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार तत्काल उत्तर प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित करे। सूखाग्रस्त घोषित करने के बाद जो आगे की प्रक्रिया है, उसे भी तत्काल पूरा करे, जैसे- सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद जो भी सरकारी वसूली होती है, वो स्थगित हो जाती है, चाहे वो मालगुजारी की वसूली हो, या किसी ऋण की वसूली स्थगित की जाए।

जो किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लिमिट का जो इंट्रेस्ट होता है, जो एक सीजन में वापस करना होता है, उसका टेन्योर बढ़ाया जाए औऱ जो भी किसानों के ऊपर, बीज का, खाद का लोन है, उसका इंट्रेस्ट स्टे किया जाए। क्योंकि जब सूखा है, उसकी फसल हुई नहीं और फसल सूखने के बाद जो मुआवजा मिलता है, प्रति हेक्टेयर उसका रेट फिक्स है, वो मुआवजा भी तत्काल किसानों को प्रदान किया जाए। यह कांग्रेस पार्टी की मांग है।चौथा एक महत्वपूर्ण विषय है, आप लोगों को जैसा विदित भी है कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने अब उत्तर प्रदेश में जो फ्री राशन स्कीम थी, उसे बंद कर दिया है।

उत्तर प्रदेश में लगभग 15 करोड़ कार्ड धारक हैं, जिन्हें फ्री राशन मिलता है। उत्तर प्रदेश के चुनाव के पहले इस बीजेपी की सरकार ने और आदरणीय मोदी जी की सरकार ने चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद भी इस फ्री राशन स्कीम के नाम पर अपनी खूब पीठ थपथपाई, खूब प्रचार किया, देश विदेशों तक में इसका प्रचार किया कि हम हिंदुस्तान के इतने लोगों को फ्री राशन दे रहे हैं और यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश में तो इतने होर्डिंग, बैनर और पेपरों में इश्तेहार दिया, योगी जी और मोदी जी की फोटो लगाकर और एक किसी पात्र का फोटो लगाकर कि धन्यवाद योगी जी, मोदी जी मुझे फ्री राशन मिला है।

लेकिन चुनाव बीत गया, मतलब निकल गया, तो अब वो जो फ्री राशन स्कीम थी, प्रदेश की सरकार ने उसे अब बंद कर दिया। क्यों- क्योंकि ये मतलब वाली सरकार है। मतलब निकल गया, तो उस गरीब से अब कोई मतलब नहीं है। अब फिर उस गरीब को वही एक आसरा है जो कांग्रेस पार्टी ने खाद्य सुरक्षा कानून लाई और उस कानून के अधिकार के तहत हर पात्र को 2 रुपए और 3 रुपए किलो गेहूं और चावल, जिसका अधिकार है, वो मिलने का अब वो गरीब लगभग जो 67 प्रतिशत हैं, हिंदुस्तान के हर प्रदेश में अब उनको कांग्रेस की इस स्कीम का सहारा है।

तो ये सरकार का रुख दिखाता है कि ये सिर्फ स्वार्थी है, मतलबी है, अपने वोट के लिए योजनाएं लाती है, प्रलोभनकारी कदम उठाती है और मतलब निकल जाने के बाद उन चीजों को बंद कर देती हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी स्थाई रुप से योजना लाती है और उसका अधिकार देती है, जैसे खाद्य सुरक्षा कानून अधिकार है, हर व्यक्ति को 2 रुपए और 3 रुपए में, मनरेगा कांग्रेस की लाई हुई स्कीम है, ये अधिकार है; राइट टू एजुकेशन, ये अधिकार है; आरटीआई अधिकार है, वनवासी अधिकार अधिनियम अधिकार है। तो सब कुछ मिलाकर हमारा कहने का तात्पर्य यह है कि जो किसान सम्मान निधि की वसूली की जा रही है, वो तत्काल रोकी जाए, निरस्त की जाए।

जो ये सरकार है, मतलब निकल गया, तो अब फ्री का राशन देना भी बंद कर दिया और साथ ही उत्तर प्रदेश को सूखाग्रस्त राज्य घोषित किया जाए, किसानों को मुआवजा दिया जाए, उन पर बनने वाले कृषि देय पर जो इंट्रेस्ट है, वो माफ किया जाए।

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