*जोधपुर से 10 दिन में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करके पांच बैलगाडिय़ों से कारसेवकपुरम पहुंचा घी*
*बीस साल पहले लिया था शुद्ध देसी गाय का घी भेजने का संकल्प*
अयोध्या 07 दिसंबर (एजेंसी)। आगामी 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की पहली आरती के लिए राजस्थान से 650 किलो घी अयोध्या लाया गया है। यह घी जोधपुर से 5 बैलगाड़ी रथ से लाया गया है जो 10 दिन में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करके गुरुवार सुबह रामनगरी अयोध्या के कारसेवकपुरम पहुंचा जहां श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र को घी सौंपा गया। रथ के साथ ही 108 छोटे शिवलिंग भी लाए गए हैं। इसके अलावा, गुरुवार को थाइलैंड से मिट्टी और कंबोडिया से हल्दी भी अयोध्या लाई गई।
इस दौरान चंपत राय ने कहा-महाराणा प्रताप के क्षेत्र से भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा की आरती के लिए घी आया है। जिन गो माताओं के दूध से ये घी बना है उन सभी को साल 2017 में जोधपुर में काटने से बचाया गया था उन सबको बकायादा 9 महीने तक रामचरित मानस का पाठ सुनाया गया इसके बाद उनके दूध से घी बनाकर अयोध्या लाया गया।
650 किलो घी जोधपुर के बनाड़ स्थित श्रीश्री महर्षि संदीपनी राम धर्म गोशाला में बनाया गया है। इसका संचालन महर्षि संदीपनी महाराज की ओर से किया जाता है। बताया कि उन्होंने 20 साल पहले संकल्प लिया था कि अयोध्या में जब भी राम मंदिर बनेगा, उसके लिए शुद्ध देसी गाय का घी वो लेकर जाएंगे। बताया गया वर्ष 2014 में उन्होंने गायों से भरे एक ट्रक को रुकवाया, जो जोधपुर से गोकशी के लिए ले जाया जा रहा था।
ट्रक में करीब 60 गायें थीं। महाराज ने इन गायों को छुड़वाया और आस-पास की गोशाला में ले गए। सभी ने इन गायों को रखने से मना कर दिया। अंत में उन्होंने निर्णय लिया कि वे खुद गोशाला शुरू करेंगे और इन गायों को पालेंगे। इसी दौरान राम मंदिर बनने को लेकर उम्मीद बंधने लगी, तो उन्होंने उन 60 गायों का घी एकत्रित करना शुरू कर दिया। ये संकल्प भी था कि जितना भी घी होगा, उसे वे बैल पर ले जाएंगे। शुरुआत में वे मटकी में घी एकत्रित कर रहे थे। गर्मी की वजह से घी पिघलकर बाहर आने लगा और मटकी में भी दरारें आने लगी। एक-दो बार तो घी भी खराब हो गया।
इस पर किसी दूसरे संत से पता चला कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोरेज रखा जा सकता है। ऐसे में वे हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियों समेत अन्य जड़ी-बूटियां लेकर आए। इनका रस तैयार कर घी में मिलाया। इसके बाद इस घी को स्टील की टंकियों में डालकर एसी के जरिए 16 डिग्री तापमान में रखा। सुरक्षित स्टोरेज का ही नतीजा है कि 9 साल बाद भी घी पहले जैसा रहा।
जोधपुर से बैलगाड़ी में घी लेकर आए लोगों ने बताया कि 27 नवंबर को जोधपुर से महाराज जी ने बैलगाड़ी को रवाना किया था। हम लोग भगवान का भजन गाते हुए 1200 किलो मीटर की यात्रा 10 दिन में तय की। विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि प्राण-प्रतिष्ठा के लिए एक-एक वस्तु को उच्च गुणवत्ता को ध्यान में रखकर चुना जा रहा है। देशभर के संत और राम भक्त अनेकों रूपों में रामलला के लिए अपनी सेवाएं भी अर्पित कर रहे हैं।
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