'1922 Pratiksha Chauri Chaura' is a brilliant period drama film..!

* फिल्म समीक्षा –  *1922 प्रतिकार चौरी चौरा*

*बैनर : सरजू विजन

*निर्माता निर्देशक व लेखक : अभिक भानु

*कलाकार – रवि किशन, अनिल नागरथ ,पवन  पांडेय,अशोक बनथिए, पार्थ मिश्रा, विकल्प श्रीवास।

*रिलीज़ डेट  -30 जून 2023

*रेटिंग    – 3/5

30.06.2023  –  भारतीय सिनेमा में आज़ादी से लेकर अब तक सैकड़ों फिल्में बनी जिनमें आज़ादी की लड़ाई को विभिन्न प्रकार से दिखाया गया । वैसे ही एक घटना भारतीय आज़ादी की लड़ाई के लिए 1922 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के चौरी चौरा में लड़ी गई । उसी घटना को केंद्र में रखकर फ़िल्म बनी है ‘1922 प्रतिकार चौरी चौरा’ । यह फ़िल्म एक सत्य घटना पर आधारित है और उस घटना ने देश के आज़ादी की लड़ाई को एक अलग ही रुख प्रदान कर दिया था । यह फ़िल्म रिलीज़ हुई है और रिलीज़ के साथ ही इस फ़िल्म ने इतिहास के कुछ उन पलों से हमें रूबरू कराया है जिन्हें आजतक के इतिहासकारों ने भुला दिया था । फ़िल्म की भव्यता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर एक किरदार ने अपने आप को उस पल के हालात में ढालने के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया है । फ़िल्म की कहानी के केंद्रबिंदु में जालियांवाला बाग हत्याकाण्ड का प्रतिशोध है।

'1922 Pratiksha Chauri Chaura' is a brilliant period drama film..!

निर्देशक अभिक भानु ने आज़ादी के पूर्व के संघर्षशील इतिहास को बड़े ही संजीदगी और जीवंत तरीके से सिल्वर स्क्रीन पर उतारा है फिल्म प्रारम्भ से लेकर अंत तक आपको एकसूत्र में बांधे हुए रखती है | फ़िल्म के संवाद में  आपको पुर्वांचल की झलक मिलती हुई प्रतीत होगी । फ़िल्म में अभिनय कौशल की बात की जाए तो फ़िल्म के केंद्रबिंदु में रवि किशन समेत सभी कलाकारों का अभिनय बेहद प्रभावशाली है। रवि किशन ने अपने इस रूप से यह दिखाया कि पीरियड सिनेमा में भी उनकी उतनी ही पकड़ है जितनी कि आजकल के नए कमर्शियल सिनेमा के चरित्रों पर ।  सरजू विजन के बैनर तले बनी फ़िल्म 1922 प्रतिकार चौरी चौरा के निर्माता-निर्देशक व लेखक हैं अभिक भानु ।

फ़िल्म ‘1922 प्रतिकार चौरी चौरा’ में मुख्य भूमिक में रवि किशन के साथ ममता जेठवानी ,अनिल नागरथ,अशोक वोटिया,अनुराधा  सिंह आदि अन्य कलाकार भी हैं। प्रचारक हैं संजय भूषण पटियाला। फिल्म की तकनीकी पक्ष की बात की जाए तो आज से 100 साल पहले की घटना को सहज रूप में आज दिखाना कोई साधारण बात तो है नहीं, फिर भी निर्देशक अभिक भानु ने एक बेहतरीन फ़िल्म बनाई है। फ़िल्म की साज सज्जा , सेटअप , ड्रेस डिजाइनिंग , उस समय का परिवेश और उसके हिंसाब से लाइटिंग इफेक्ट देखकर आपको वो दौर याद आने ही लगेगा । फ़िल्म में गीत संगीत की बात की जाए तो उस दौर के संगीत में और आज के संगीत में अंतर तो है , इसलिए संगीत के मामले में आपको थोड़ी सी निराशा हो सकती है, लेकिन बैकग्राउंड स्कोर ठीक ठाक बन पड़ा है ।

फ़िल्म का साउंड इफ़ेक्ट औसत से कुछ उम्दा है । जालियांवाला बाग हत्याकाण्ड का प्रतिशोध है फिल्म ‘1922 प्रतिकार चौरी चौरा’। कुल मिलाकर इस वीकेंड पर आपको आज़ादी के पहले के उस दौर को देखनेऔर समझने के लिए एक बेहतरीन सिनेमा मिली है। इसे परिवार और दोस्तों के साथ देख सकते हैं।

प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

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